जी हां, स्तन कैंसर से पुरुषों की भी होती है मौत
आर. दीपिका
भारत में कैंसर वयस्कों में होने वाली मौत का एक प्रमुख कारण है। हमारे देश में पुरुषों के मुकाबले महिलाएं इस रोग से अधिक ग्रसित हैं और कैंसर के सबसे आम रूप स्तन कैंसर, लंग कैंसर और सर्वाइकल कैंसर है। ब्रेस्ट कैंसर, सर्वाइकल, ओवरी और गर्भाशय का कैंसर भारत में महिलाओं के बीच कैंसर के मामलों का 70 प्रतिशत है। अकेले ब्रेस्ट कैंसर का भाग 27 प्रतिशत है। औसतन हर दो मिनट पर कम से कम एक महिला में ब्रेस्ट कैंसर का पता चलता है।
महिलाओं में कैंसर का सबसे आम प्रकार
ब्रेस्ट कैंसर महिलाओं में कैंसर का सबसे आम रूप है और दुनिया भर में कैंसर से होने वाली मौतों का दूसरा सबसे बड़ा कारण है। फिर भी जब पारिवारिक चर्चाओं में इसका जिक्र आता है, तो दबे-छिपे स्वर में बात होती है जबकि जागरूकता से इससे होने वाली मौतों का प्रतिशत बहुत कम किया जा सकता है।
सिर्फ स्त्रियों में नहीं होता ब्रेस्ट कैंसर
आम तौर पर लोगों को यही पता होता है कि यह कैंसर सिर्फ महिलाओं में पाया जाता है, मगर कम ही लोग जानते होंगे कि पुरुषों में यह कैंसर विरल होने के बावजूद हर साल करीब 440 पुरुषों की ब्रेस्ट कैंसर से मौत हो जाती है।
ध्यान दें
ब्रेस्ट कैंसर जागरूकता माह में आपको कुछ चीजें अपने दिमाग में बिठा लेनी चाहिए। जागरूक होने और आत्मविश्वास के साथ बीमारी का मुकाबला करने से हमें आधी जीत मिल जाती है। हालांकि ब्रेस्ट कैंसर के कारणों का ठीक-ठीक पता नहीं चल पाया है मगर विशेषज्ञों के अनुसार इस प्रकार के कैंसर की कुछ संभावित वजहें ये हैं:
- अगर आपके स्तन में गांठ है, चाहे वह घातक न हो, तो ब्रेस्ट कैंसर का जोखिम बढ़ जाता है।
- उन महिलाओं में स्तन कैंसर होने की संभावना दो से तीन गुना अधिक होती है, जिनकी मां, बहन या बेटी को यह रोग हुआ हो। 10-15 प्रतिशत मामले आनुवांशिक कारणों से होते हैं मगर अधिकांश महिलाओं में कोई पारिवारिक इतिहास नहीं होता।
- उम्र के साथ स्तन कैंसर का जोखिम बढ़ता जाता है। जिन महिलाओं में मेनोपॉज हो चुका है, उनमें ब्रेस्ट कैंसर होने की संभावना युवा स्त्रियों की अपेक्षा अधिक होती है। ऐसी महिलाओं में मोटापा भी इस रोग के जोखिम को बढ़ाता है।
- जिन महिलाओं को जल्दी मासिक स्राव शुरू हो जाता है (12 की उम्र से पहले) या मेनोपॉज देरी से होता है (55 की उम्र के बाद), उनमें स्तन कैंसर का जोखिम थोड़ा अधिक होता है। शायद इसकी वजह एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन हारमोनों का एक्सपोजर अधिक समय तक होना है।
- शोध बताते हैं कि एक साल या उससे अधिक समय तक स्तनपान कराने से स्तन कैंसर का जोखिम थोड़ा कम हो जाता है। इसकी वजह शायद यह है कि स्तनपान अक्सर मासिक स्राव को बाधित करता है, जिसका अर्थ है, कम मासिक चक्र और एस्ट्रोजन का कम एक्सपोजर।
- 40 की उम्र के बाद सालाना स्तन कैंसर जांच कराना चाहिए।
- हर प्रकार के शरीर वाली महिलाओं में एक्सरसाइज करना उनमें स्तन कैंसर के जोखिम को कम करता है, यहां तक कि दुबली-पतली महिलाओं में भी।
जोखिम को नियंत्रण में रखने के लिए शराब का सेवन भी कम से कम करें। स्तन कैंसर सहित कई रोगों में धूम्रपान छोड़ना भी जोखिम को कम करता है। धूम्रपान करने वाली कम उम्र की महिलाएं, धूम्रपान न करने वाली महिलाओं के मुकाबले स्तन कैंसर के अधिक जोखिम पर होती हैं।
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